Tuesday, 8 May 2012


बिखरते को सांवारते हाथ,
ढाँढस बंधाती-
स्नेहिल आवाज़,
मेरी हूक को महसूस करने वाला
अदद हृदय,
चेहरे की हर लिपि को पढ़ने में सक्षम
 पारखी आँखें,
सभी वेदनाओं को
आँखों से पोंछ सकने वाला आँचल,
एक शोहरत-सी लगने वाली  दुआ,
वो सभी कुछ तुम हो ,
जिसके बिना मैं अधूरा हूँ
                    

Monday, 7 May 2012


¢किससे करूँ मैं शिकायत उसकी,
बेवफ़ाई तो है आदत उसकी,
कुछ नहीं था,तो आज गम तो है,
भुलाऊँ कैसे इनायत उसकी……
                          =अभिषेक अग्निहोत्री



मैं आसमां में उड़ जाऊँगा परिंदे की तरह,
अपने हाथों में लेके तू उछाल दे मुझको।

मेरी आँखों से छीन ले तू नींद रातों की,
इक गुज़ारिश है तू अपना खयाल दे मुझको।

मेरा दावा है रहमतें खुदा की होगी जरूर,
बुरे हालात में गर तू संभाल ले खुद को।

तू भी भूला नहीं है खासकर उन लम्हों को,
तू तो कहता था आँख से निकाल दे इनको।

रंगते-ज़िन्दगी खो दी तेरी इबादत में,
मेरा हक है कि तू अपना जमाल दे मुझको।

                    =>अभिषेक अग्निहोत्री