ये भी कोई तरीका है,सपनों को चंद मुश्किलों के हाथ बेंच दिया?याद रहे-जब भी खुद में झाँकोगे
सपनों की एक कोंपल
हरदम जीवित पाओगे!
सपनों की जिजीविषा को
कब रौंद पाया है वक़्त के पहिए ने?
और तब-
उसकी घुटन
तुम्हें अपने दिल पर महसूस होगी……………
=>अभिषेक अग्निहोत्री
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